रविवार, 24 अगस्त 2014

किरांति के वास्ते.....

चेहरा बना है लाल, किरांति के वास्ते,
उनका बढ़ा है बाल, किरांति के वास्ते।
दाढ़ी में है ख़िजाब, किरांति के वास्ते,
झोले में है हथियार, किरांति के वास्ते।
गुदड़ी के बने लाल, किरांति के वास्ते,
मुर्गे भी हैं हलाल, किरांति के वास्ते।
उंगली में है सिगार, किरांति के वास्ते,
हाथों में है गिलास, किरांति के वास्ते।
वोटर किया आयात, किरांति के वास्ते,
मइया को मारी लात, किरांति के वास्ते।
अनुदान लिया खाय, किरांति के वास्ते,
खा करके मारी लात, किरांति के वास्ते।
धरना है कारोबार, किरांति के वास्ते,
कुर्सी की है दरकार, किरांति के वास्ते।
कच्छे में रखा रुमाल, किरांति के वास्ते,
गिरगिट सा है जमाल, किरांति के वास्ते।
कारखाने कब्र हो गए, किरांति के वास्ते,
मजदूर दफन हो गए, किरांति के वास्ते।
क्या-क्या करोगे यार, किरांति के वास्ते,
रस्ते किए सब बंद, किरांति के वास्ते।
भेड़िए ने पहनी खाल, किरांति के वास्ते,
कब तक चलेगा स्वांग, किरांति के वास्ते?  - आशु वाणी 

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