सोमवार, 21 जनवरी 2013

आओ मिल कर बेचे खायें......


तुम भी खाओ हम भी खायें, बन के पूरे पागल,
अभी तो सारा देश पड़ा है, बहुत बचे हैं जंगल।
जनता को रोटी के चक्कर में, कर डालो पागल,
रोते-रोते सो जायेगी सुसरी, नहीं करेगी दंगल।
हमने खाया, खूब पचाया, बैगन हो या बड़हल,
जनता मांगेगी तो दे देंगे, उसको बासी गुड़हल।
कपड़े सारे नोच लिये हैं, बचा ये हमरा आंचल,
इस पर आँख जमा रखी है, घूर रहे हो प्रतिपल।
पैरों में पड़ गयी बिवाई, दृष्य हो गया बोझिल,
वोट मांगने फिर से आ गये, लेकर पूरी बोतल।
मजा बड़ा अब आ रहा है, बजा रहे हो करतल,
थोड़ी सी तो कसर छोड़ दो, हो तुम कैसे अंकल।
आओ खेले करके फिक्सिंग, दिखे हो जैसे दंगल,
साथ-साथ रहेंगे हम सब, सोम हो या हो मंगल।
माल मजे का उड़ा के भइया, जनता को दो डंठल,
देखो फांका काट रहे हैं, हड़प के नोट के बंडल।
सड़क बनायी, बांध बनाया, सभी बनाया अव्वल,
हर ठेके में खूब कमाया, बरसे नोट के बंडल।।

1 टिप्पणी:

  1. Tuhahun Loota, humahun Looti, Lootie ka Azaadi ba,

    Sabse Jyaada uu Lutaie, Jekre Tan Per Khadi ba ! -------------- 1

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